न तेरे पास जवाब है
न तेरे पास जवाब है ,न मेरे पास सवाल है
मेरे पास तेरा ख्वाब है तेरे पास मेरा ख्याल है
एक किनारा तू है और एक किनारा मैं हूँ
नदी सी खामोश दरमियान हमारे हयात है
अंजुम की पहुँच तो बस तेरे हुस्न तक ही है
जो तेरे दिल को छूले मुझमे ऐसी कोई बात है
मैं पागल सा ,और दीवाना सा हो चुका हूँ
तेरे नूर ए रुख से रोशन मेरी तो हर रात है
उस जहाँ इस जहाँ से अलग एक और जहाँ है
जहां पर होती रोज तुमसे मेरी मुलाकात है
किशोर कुमार खोरेन्द्र
अंजुम =नज्म का बहुवचन,हयात=jivan
बहुतसुंदर ग़ज़ल !
thankx a lot vijay ji