भूख
बाहर गली से एक आवाज आई – ”माई” कुछ खाने को मिलेगा ?
बूढी माई ने ”रसोई घर” से रात की बची ”बासी रोटीयां” उठाई
और भिखारी को देने के लिए ”हाथ” बाहर निकाला ही था, कि
पता नहीं क्यों, अचानक ”माई” ने हाथ रोक लिया और उससे
पूछा :- भाई तुम कौन हो ! हिन्दू हो या मुसलमान ?
हसरत भरी नज़रों से ‘रोटी’ की और देख कर वो आदमी बोला
माई मैं ”भूखा” हूँ ! …..
दोस्तों, किसी ने सच कहा है, भूख का कोई धर्म नहीं होता ..
बढ़िया !