कविता

“नारी”

बन्द करो ये अत्याचार,
नारी करने लगी पुकार।
बन्द करो ये अत्याचार।
कब तक होगा ये परहेज़,
कोई न लेगा तिलक दहेज।
बेटी वाले घर में रोये,
बेटा वाले सुख से सोये।
कब तक बेटी रहे लाचार।
बन्द करो ये अत्याचार।
आज भी जन्मी कितनी गीता,
राधा हो या मीरा सीता ।
पर पुरूष अधिकार जमाते,
रावण दुशासन ले अवतार।
नारियों पर कहर बरसाया,
बन्द करो ये अत्याचार।
आओ बहन इसे सुलझाये,
लक्ष्मीबाई रूप अपनाए।
अब हम सहेगे न भ्रष्टाचार,
हमसे अब न होगी अत्याचार।
नारी करने लगी पुकार,
बन्द करो ये अत्याचार।
—–निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

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