पुनर्जन्म -एक झूठ
‘आपने बहुत ऐसे किस्से सुने होंगे जिसमे किसी इंसान के ‘ पुनर्जन्म ‘की दावे किये जाते हैं की अमुक व्यक्ति का पुनर्जनम हुआ था / है । हिंदी फिल्मो की तो भरमार है जिसमें पुनर्जन्म’के किस्से लेके कहानिया बना दी जाती हैं। पर वास्तव में ऐसा है क्या ? क्या पुनर्जन्म की कहानियां सच होती हैं? क्या जो दावे किये जाते हैं वे प्रमाणित होते हैं ?
नहीं … हरगिज नहीं। पुनर्जन्म की कहानियां केवल कपोल कल्पनायें और झूठी अफवाहे के सिवा कुछ नहीं होती।
देखिये किस प्रकार पुनर्जन्म की कहानिया झूठ के सिवा कुछ नहीं होती-
1- आज तक किसी पुनर्जन्म लिए बच्चे ने यह क्यों नहीं कहा की वह पिछले जन्म में मुर्गा,सूअर , गधा ,ऊंट या कोई अन्य पशु पक्षी था?
2- आज तक किसी मुस्लिम का पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ? क्या आत्माए भी हिन्दू मुस्लिम आदि हो सकती हैं?
3- आज तक कोई अंतराष्ट्रीय स्तर पर पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ , अर्थात किसी सऊदी अरब के नागरिक की भारत के किसी गाँव में पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ ? किसी भारतीय हिन्दू का किसी ब्रिटिश राज्य में पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ ?
पुनर्जन्म के जितने भी किस्से होते हैं वे 100% मामलो में मृतक के और पुनर्जन्म लिए बच्चे के निवास स्थान से 200 किलो मीटर के दायरे में ही क्यों होते हैं? दोनों ही परिवार वाले किसी न किसी बिंदु पर एक दूसरे से परचित होते हैं
4- याद रखने की शक्ति केवल मस्तिष्क में होती है , मृत्यु के बाद मस्तिष्क नष्ट हो जाता है । आत्मा को निर्लेप चेतन बताया गया है , फिर वह स्मृति कैसे रख सकती है ?
क्या आत्मा का भी मस्तिष्क होता है जो शरीर से अलग होता है और सारे डेटा उसमें स्टोर होते रहते हैं?
5- मृतक की आत्मा ने जिस व्यक्ति के रूप में जन्म लिया होता है , क्या ऐसा आत्मा की मर्जी से होता है? यदि आत्मा अपनी’ मर्जी ‘ से जन्म ले सकती है तो वह अपनी मर्जी से मर भी तो सकती है ? फिर ईश्वर का क्या रोल इसमें?
यदि आत्मा अपनी मर्जी से जन्म ले सकती है तो सारे गरीब इंसानो की आत्माओं को अमीर के घर जन्म लेना चाहिए था । हमें ज्यादातर पुनर्जन्म के किस्से मध्य या गरीब परिवार में ही सुनने को मिलते हैं।
अत: पुनर्जन्म एक झूठ है जो धर्म गुरुओ द्वारा बोला और सुनाया जाता है जिसके चक्कर में आके भोली भाली जनता हजारो सालो से मुर्ख बनती आ रही है ।
मैं डॉ विवेक आर्य जी द्वारा दिए गए जबाबों से बहुत हद तक सहमत हूँ.
5- मृतक की आत्मा ने जिस व्यक्ति के रूप में जन्म लिया होता है , क्या ऐसा आत्मा की मर्जी से होता है? यदि आत्मा अपनी’ मर्जी ‘ से जन्म ले सकती है तो वह अपनी मर्जी से मर भी तो सकती है ? फिर ईश्वर का क्या रोल इसमें?
समाधान- हँसी आ गई आपका कुतर्क देखकर। क्या आपके हाथ में आपका जन्म और आपकी मृत्यु हैं? नहीं। अगर होती तो संसार में हर आत्मा केवल और केवल मनुष्य योनि में जाना पसंद करती कोई पशु योनि में नहीं जाता। इसलिए जन्म मृत्यु का प्रबंधकर्ता भी मनुष्य नहीं हैं अपितु वह सत्ता हैं जो जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हैं और ऐसी सत्ता का नाम ही ईश्वर हैं। वेदों में ईश्वर के यम, असुनिता, कर्माध्यक्ष नाम पुनर्जन्म से सम्बंधित हैं। यम अनुशासन रखने वाला एवं ज्ञान को दूर करने वाला हैं, असुनिता जन्म-मरण की व्यवस्था को देखने वाला हैं जबकि कर्माध्यक्ष कर्मों का हिसाब रखने वाली सत्ता का नाम हैं। निरुक्त के अनुसार पुनर्जन्म में विश्वास रखना ईश्वर में विश्वास रखने के समान हैं क्यूंकि पुनर्जन्म की व्यवस्था बिना किसी सत्ता के असंभव हैं। आप नास्तिक बने घूमते हैं एवं अपने आपको महात्मा बुद्ध बताते हैं आपको यह भी नहीं मालूम की महात्मा बुद्ध पुनर्जन्म को मानते थे। देखिये प्रमाण धम्मपद जरा वाग्गो 153 – मैंने अनेक जन्म लिए हैं और पुनर्जन्म के दुःख से मेरी अभी तक निवृति नहीं हुई-महात्मा बुद्ध
रिस डेविड जो बुद्धिज़्म के प्रामाणिक लेखक माने जाते हैं बुद्ध का पुनर्जन्म में विश्वास मानते हैं।
अब बुद्ध को भी लोगों को मुर्ख बनाने वाला लिखों?
4- याद रखने की शक्ति केवल मस्तिष्क में होती है , मृत्यु के बाद मस्तिष्क नष्ट हो जाता है । आत्मा को निर्लेप चेतन बताया गया है , फिर वह स्मृति कैसे रख सकती है ?
क्या आत्मा का भी मस्तिष्क होता है जो शरीर से अलग होता है और सारे डेटा उसमें स्टोर होते रहते हैं?
समाधान- आप तो ईश्वर, आत्मा कुछ मानते नहीं फिर व्यर्थ में क्यों परेशान हो रहे हैं। आपकी पात्रता इस प्रश्न का उत्तर पाने की वैसे नहीं हैं। जीव को दो प्रकार का ज्ञान होता हैं स्वाभाविक एवं नैमित्तिक। स्वाभाविक ज्ञान आत्मिक होता हैं और नैमित्तिक ग्रहण किया जाता हैं।
3- आज तक कोई अंतराष्ट्रीय स्तर पर पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ , अर्थात किसी सऊदी अरब के नागरिक की भारत के किसी गाँव में पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ ? किसी भारतीय हिन्दू का किसी ब्रिटिश राज्य में पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ ?
पुनर्जन्म के जितने भी किस्से होते हैं वे 100% मामलो में मृतक के और पुनर्जन्म लिए बच्चे के निवास स्थान से 200 किलो मीटर के दायरे में ही क्यों होते हैं? दोनों ही परिवार वाले किसी न किसी बिंदु पर एक दूसरे से परचित होते हैं
समाधान- पुनर्जन्म की स्मृति चिरस्थायी नहीं होती केवल अपवाद रूप में होती हैं। संसार इतना बड़ा हैं की सऊदी अरब में पैदा हुआ व्यक्ति अगर भारत में अपने पुनर्जन्म की बात करता हैं तो दुरी अधिक होने के कारण लोग उस पर विश्वास नहीं करते। आप अगली बार अपने और से सऊदी के व्यक्ति के लिए हवाई जहाज की टिकट और वीसा का प्रबंध कर देना जिससे आपकी पुष्टि हो जाये।
शंका 2- आज तक किसी मुस्लिम का पुनर्जन्म क्यों नहीं हुआ? क्या आत्माए भी हिन्दू मुस्लिम आदि हो सकती हैं?
समाधान- हिन्दू मुस्लिम का भेद तो मानव द्वारा निर्मित हैं। वेद तो पुनर्जन्म मानते हैं यहाँ तक क़ुरान भी मानती हैं। बस हमारे मुस्लिम भाई भी मानने लग जाये तो बात बन जाये। देखो क़ुरान में पुनर्जन्म का प्रमाण।
(1) सूरा 22, अल-हज, आयत 66- और वही है जिसने तुम्हें जीवन प्रदान किया। फिर वही तुम्हें मृत्यु देता है और वही तुम्हें जीवित करने वाला है। पेज- 292
(2) सूरा 23, अल-मोमिनून-आयत 15, 16। पेज 294
(3) सूरा 23, अल मोमीनून- आयत 100। पेज 300
(4) सूरा 7, अल आराफ, आयत 29, पेज 129
संस्करण (मधु संदेश संगम) अनुवादक: मौलाना-मुहम्मद फारूक खाँ व डॉ0 मुहम्मद अहमद)
शंका 1- आज तक किसी पुनर्जन्म लिए बच्चे ने यह क्यों नहीं कहा की वह पिछले जन्म में मुर्गा,सूअर , गधा ,ऊंट या कोई अन्य पशु पक्षी था?
समाधान- अच्छा जी जरा ये तो बताईए कि आप अपनी माता के गर्भ में नौ माह रहे थे। क्या आपको याद है? क्या अपने जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक की आयु में किये गये कार्य आपको याद हैं? क्या आपरेशन के दौरान बेहोश किए गए मरीज को यह याद रहता है कि उसकी चिकित्सा किस प्रकार की गई थी? कभी बुढ़ापे में याददाश्त खो जाने पर व्यक्ति की इस जन्म की स्मृतियाँ तक लोप हो जाती हैं तो हमें पूर्वजन्मों की स्मृतियाँ किस प्रकार स्मरण रहेंगी? आगे अगर सभी व्यक्तियों को पूर्वजन्म का स्मरण हो जाये तो सांसारिक व्यवस्था भी अव्यवस्थित हो जायेंगी क्योंकि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु दुर्घटना अथवा कत्ल से हुई होगी इस जन्म में वह किस प्रकार अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखेगा? इसलिए जिस प्रकार पानी को देखकर वर्षा का, कार्य को देखकर कारण का विद्वान लोग अनुमान लगा लेते हैं उसी प्रकार जन्मजात बिमारियों को देखकर पूर्वजन्म में किये गये कर्मों का अनुमान हो जाता है।
पुनर्जन्म पर मेरा लेख पढ़िए आपकी शंका का समाधान हो जायेगा।
यह सच है कि पुनर्जन्म का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। लेकिन आप तो बौद्ध हैं। बौद्ध धर्म की जातक कथाओं में बुद्ध के अनेक जन्मों की कहानी है। क्या वे कहानियाँ झूठ हैं?
http://vedictruth.blogspot.in/2014/04/blog-post_12.html
मेरा निजी विचार है कि पुनर्जन्म विज्ञानं के दायरे में यही आता है। विज्ञानं तो ईश्वर व आत्मा को भी नहीं मानता जिसके अनेक प्रमाण है। अतः विज्ञानं दवारा पुनर्जन्म मानना या न मानना कोई महत्त्व नहीं रखता। लेखक द्वारा ,पाठकों की प्रतिक्रियाओं पर लेख के लेखक का मौन रखना भी एक सामाजिक अपराध जैसा ही है।
यहाँ हम ने ऐसी बात कभी सुनी ही नहीं , आत्माओं का निवास भारत में ही होता है .
पुनर्जन्म या आगमन क्यों आवश्यक हैं?