जब चला करती है ••••
मन्द पवन के झोके जब-जब चला करती है,
खेतों में फसलों से लिपट जाया करती है।
हवा ने उस लगे फसलों का स्पर्श पाकर ,
फसल के बदन को झकझोर दिया करती है।
हवा को आते ही फसलों का सिहर उठना,
फसल उसके आगोश में स्वयं आ जाती है।
होता है दोनो का मिलन खुले वातावरण में,
प्रकृति के गोद में अठखेलियाँ खेल जाती है।
थोड़ी देर बाद दोनो एक दूजे को भूल जाते हैं
धिर – धिरे खुशी भरे माहौल को छोड़ जाते हैं
अपनाते है अलगाव तन मन को बिखेरकर,
कुछ समय का स्पर्शानुभूति बाकी रह जाती हैं ।
———-रमेश कुमार सिंह ♌ ————-
आपके भाव अच्छे हैं, लेकिन इनमें भाषा, व्याकरण और वर्तनी की कई गलतियाँ हैं. ठीक करने की कोशिश कीजिये.
धन्यवाद श्रीमान जी ठिक है।
सुधार कर दिये हैं श्रीमान जी।
बढिया .
धन्यवाद श्रीमान जी