माहिया लिखने की एक कोशिश
साजन तेरी यादें
सावन बन बरसी
तोड़ दिए सब वादे ।
नभ भी रो पड़ता है
दुःख के बोझ तले
बारिश बन बहता है ।
तरसत मोरे नैना
यादों में मोहन
खोया दिल का चैना ।
घर-आँगन महकाती
प्यारी सी बिटिया
तितली बन लहराती ।
फूल पलाश खिल रहे
आन मिलो तुम प्रिय
अब विरह मन जल रहे
हट तू ऐसे न सता
छोड़ कलाई दे
बस भी कर,न कर खता ।
रुक तो मेरे हमदम
मन है आवारा
तरसाता है मौसम ।
पल पल याद सताती
तुम रूठ न जाना
याद बहुत तरसाती ।
माहिया बहुत अच्छा लगा . पंजाब में माहिया बहुत गाया जाता है जिस का अपना ही एक अंदाज़ है जिस में दिल के अरमानों का इज़हार किया जाता है.
बहुत खूब !