कविता

माहिया लिखने की एक कोशिश

mahiya

साजन तेरी यादें
सावन बन बरसी
तोड़ दिए सब वादे ।

नभ भी रो पड़ता है
दुःख के बोझ तले
बारिश बन बहता है ।

तरसत मोरे नैना
यादों में मोहन
खोया दिल का चैना ।

घर-आँगन महकाती
प्यारी सी बिटिया
तितली बन लहराती ।

maahiya

फूल पलाश खिल रहे
आन मिलो तुम प्रिय
अब विरह मन जल रहे

हट तू ऐसे न सता
छोड़ कलाई दे
बस भी कर,न कर खता ।

रुक तो मेरे हमदम
मन है आवारा
तरसाता है मौसम ।

पल पल याद सताती
तुम रूठ न जाना
याद बहुत तरसाती ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

2 thoughts on “माहिया लिखने की एक कोशिश

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    माहिया बहुत अच्छा लगा . पंजाब में माहिया बहुत गाया जाता है जिस का अपना ही एक अंदाज़ है जिस में दिल के अरमानों का इज़हार किया जाता है.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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