*सुबह-ए-शाम शान-ए-अवध गोमती*
जय गोमती का किनारा,
हो सुखकारी जयकारा |
सुबह की छनती लाली,
शाम -ए-अवध खुशहाली |
खतरों से खेल रही हैं ,
बचाने उतरे कुछ पाणी |
देवरहा-घाट पर लगी भीड़ भारी,
स्वेत जल धार चले ,
जीवन का उद्धार करे ,
सबने है ठानी ,
स्वच्छ रहे दु:ख दूर करे |
हे गोमती जय गोमती !
जय गोमती जय गोमती |
©”मौन”
बढ़िया !