गीतिका/ग़ज़ल

बनके रहनुमा…..

विश्व बाजार परम्पराएं पुरानी ले गया
जीने का ढब खानदानी ले गया

बनके रहनुमा एक गरीब का कोई
झूठे वादों के बदले दुआएं रूहानी ले गया

चांद मंगल का हमें दिखाकर ख्वाब
वो हमारी आंखों का पानी ले गया

यादों का कफस देके एक लुटेरा
चेहरे से शादमानी ले गया

शोख मौसम के दिखा सपने कई
मेरे जीवन की रवानी ले गया

— भावना सिन्हा

डॉ. भावना सिन्हा

जन्म तिथि----19 जुलाई शिक्षा---पी एच डी अर्थशास्त्र

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