गीतिका/ग़ज़ल

कभी नहीं मिलते…

 

कभी नहीं मिलते ,कभी कभी मिलते रहे हो
पर जुबाँ तुम अपनी, हरदम सिलके रहे हो

प्यार के लिए जानता हूँ अल्फाज नहीं होते
फूल सा ह्रदय में पर , सदा खिल के रहे हो

तुम बिन यह जीवन ,अधूरा सा लगता है
नजरों में प्राय: मेरे ,साये सा हिलते रहे हो

तुम्हारी आवाज सुनने के लिए बेताब हूँ
मौन रह कर मगर, तुम पास दिल के रहे हो

अंतिम घडी तक मैं पुकारता रहूँगा तुम्हें
कायदा ए इश्क़ सा ,तुम बन फासिले रहे हो

तेरी तलाश में मैं तो दरिया सा बहता रहा हूँ
तुम सागर सा धीर गंभीर, सलीके से रहे हो

जहां में मेरी सिर्फ तुझसे ही क्यों हुई मोहब्बत
जन्मों से तुम मेरे प्रेम के, सिलसिले रहे हो

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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