कैसी है मानवता
मानव ही एक मानव को कुछ नहीं समझता।
एक दूसरे को नोचने में खुद महान समझता।
चाहे वो अधिकारी हो या हो देश का राजनेता।
मानव, मानव को कष्ट देने की तरकीब बनाता।
मानव अब इस धरती पर अब मानव नहीं रहा।
सारे बूरे कर्मो को अपने हाथों पे लिए चल रहा
चन्द फायदे के लिए भ्रष्टाचार को सह दे रहा ,
मानव, मानव के बच्चे का भ्रूण- हत्या कर रहा।
मानवता कैसे बनीं रहे क्या होगा इनका समाधान।
समाज का समाजवाद पर जब केन्द्रित होगा ध्यान।
निदान करने का कोशिश जब कुछ लोग करतें हैं,
कइ तरह की समस्याएं डालने लगती है व्यवधान।
•••••••••••••रमेश कुमार सिंह •••••••••••••••
वर्तमान में मानवता का अच्छा वर्णन।
बढ़िया !
धन्यवाद श्रीमान जी आभार आपका।