कविता

फ़रियाद

कतरा कतरा यूँ ही बीत जायेगी जिंदगी
इसलिए उनको सब कुछ बताये बैठे हैं
यूँ तो सब कुछ पता हैं उनको
पर शायद कुछ हसरतों का सामान छिपाये बैठे है
खुशियों की क्या बात करें
उनके लिए तो खुशियों की बरसात लिए बैठे हैं
जो जिंदगी को यादगार बना दे
उस मुलाकात की आस लिए बैठे हैं
हमारी जिंदगी तो अब
खुद उनकी मोहताज़ हो चुकी
इसलिए उनकी साँसों की
फ़रियाद लिए बैठे हैं
इस से पहले की देखना पड़े गम जुदाई का मुझको
अपने हाथों में अपनी मौत का सामान लिए बैठे है
और उनकी साँसों की
फ़रियाद लिए बैठे हैं

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

One thought on “फ़रियाद

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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