कविता

किसी के रोकने से हम कहाँ रुकने वाले हैं …

कुछ अधूरे ख्वाब ,
आजकल मुँह चिढ़ाने लगे हैं !
हार मानने वाले हैं कहाँ,
नित नये हौंसले हम जगाने लगे हैं !!

राहों के पत्थर ,
रोकने की कोशिश रोज ही करते हैं !
डरकर मुसीबतों से भला ,
हम भी पथ अपना कहाँ बदलने वाले हैं !!

मुस्कराती हुई मंजिल ,
अपनी बाँहें पसार बुला रही है हमको !
दौड़कर दुगनी गति से ,
अपनी मंजिल को हम गले लगाने वाले हैं !!

ख्वाब सारे पूरे कर ,
हम भी एक नया इतिहास रचाने वाले हैं !!
अपने मुँह मियामिट्ठू बनने वालों को ,
हम अब सच्चाई का आईना दिखाने वाले हैं !!

प्रवीन मलिक ^_^

प्रवीन मलिक

मैं कोई व्यवसायिक लेखिका नहीं हूँ .. बस लिखना अच्छा लगता है ! इसीलिए जो भी दिल में विचार आता है बस लिख लेती हूँ .....

One thought on “किसी के रोकने से हम कहाँ रुकने वाले हैं …

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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