ग़ज़ल : मौका
गजब दुनिया बनाई है, गजब हैं लोग दुनिया के
मुलायम मलमली बिस्तर में अक्सर वे नहीं सोते
यहाँ हर रोज सपने क्यों, दम अपना तोड़ देते हैं
नहीं है पास में बिस्तर, वे नींदें चैन की सोते
किसी के पास फुर्सत है, फुर्सत ही रहा करती
इच्छा है कुछ करने की, पर मौके ही नहीं होते
जिसे मौका दिया हमने, कुछ न कुछ करेगा वह
किया कुछ भी नहीं ,किन्तु सपने रोज वह बोते
आज रोता नहीं है कोई भी किसी और के लिए
सब अपनी अपनी किस्मत को लेकर बहुत रोते
— मदन मोहन सक्सेना
शुक्रिया
वाह वाह ! इस ग़ज़ल के कुछ शेर बहुत लाजबाब हैं !