उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 59)
54. अध्यादेश एवं धर्म स्थापना
सिंहासन रोहण के उपरांत साम्राज्ञी देवलदेवी और सम्राट धर्मदेव ने धर्म के अनुसार शासन-व्यवस्था को सुदृढ़ किया। वह हिंदू जो बलात कैद किए गए थे उन्हें स्वतंत्र कर दिया गया। राजमहल में विभिन्न देवी-देवताओं की स्थापना की गई। पूरे नगर, राजधानी और संपूर्ण देश में सभी को अपने धर्मानुसार रहने की छूट दी गई। हर ओर हर्षोल्लास का वातावरण निर्मित हो गया। वह हिंदू जो एक शताब्दी से भी अधिक समय से कुचले जा रहे थे अब उनका उत्कर्ष होने लगा।
अब तक केवल हिंदू कन्याओं और मुस्लिम युवकों का ही विवाह होता था। सम्राट की आज्ञानुसार अब हिंदू युवक भी मुस्लिम युवतियों के साथ विवाह कर सकते थे। खिलजी वंश की तमाम शहजादियों ने हिंदू युवकों से हिंदू धर्म के अनुसार विवाह किए। इस प्रकार सम्राट धर्मदेव और देवलदेवी के शासन में हर धर्म के लोग सुखी और संपन्न हो गए।
अंत भला तो सब भला !