आईना बोलता है : बाबा को मंत्रीपद का दर्ज़ा !
एक खबर के अनुसार पतंजलि पीठ व्यवस्था के उद्योगपति बाबा रामदेव को हरियाणा की खट्टर सरकार ने कबीना मंत्री का दर्जा दिया है। हरियाणा की सरकार को खट्टर सरकार कहना ही उचित है क्योंकि उसके द्वारा लिये जा रहे निर्णयों से केंद्र सरकार सहमति रखती होगी, ऐसा प्रतीत नहीं होता।
अभी हाल ही की बात है जब सिनेमा जगत में तहलका मचा देने वाली, सदी की बेमिसाल रचना, सामाज के मूल्यों को जन जन तक पहुँचाने में रामायण के कान काटने वाली फिल्म ‘एम एस जी’ का पटारम्भ किया गया था। कुछ लोग दबी आवाज़ मे यह कहते हुए भी पाए गये कि इसके द्वारा बाबा गुरमीत राम रहीम के उन पैसों की भरपाई करवाई गयी है जो उन्होंने भाजपा के चुनाव कोष में दान दिया था। अब जितने मुँह उतनी बातें तो पुरानी कहावत है सो इसका क्या। पर इधर एक नयी कहावत भी सुगबुगाने लगी है कि, “खट्टर मेहरबान तो बाबा पहलवान”। अफसोस होता है बाबा रामपाल की बुद्धि पर। बेचारे समय का रुख नहीं समझ पाए और पहुँच गये जेल में।
ये कबीना मंत्री का दर्जा देना अपनी समझ में नहीं आता। अरे भाई, ये दर्जा दे कर टरका देना कहाँ की शिष्टता है। मंत्री क्यों नहीं बनाया ? ये तो ऐसा ही लगता है जैसे मंत्री पद न हुआ कोई डाक्टरेट की मानक डिग्री हो गयी, जिसे देते समय हमारे देश में यह भी नहीं देखा जाता कि पाने वाला इस लायक है भी या नहीं । जिसकी कृपा दरकार हो उसे दे दो, जैसे, अखिलेश यादव ने अपने पिता को ही दे डाला। यहाँ देखने वाली बात यह है कि खट्टर सरकार ने, बाबाओं की खुशामद के सिवा, प्रदेश के लिये अब तक किया क्या है और, बाबा रामदेव इस ‘मानद मंत्री पद’ का करते क्या हैं ! मोदी जी की भाजपा सरकार जिस प्रकार अपने क्षत्रपों के इन चोंचलों पर खामोशी साधे है, वह विचारणीय है।
‘होश’
हरियाणा सरकार ने योग शिक्षा के लिए बाबा को ब्रांड अम्बेसडर बनाया है. उनको आने जाने में सुविधा हो और सम्मान मिले, इसलिए उनको मंत्रीपद का दर्जा दिया है. अगर आपको इसमें कुछ गलत लगता है तो यह आपकी व्यक्तिगत सोच हो सकती है.
बाबा रामदेव की तुलना रामपाल जैसे धूर्त से करना गलत है.
बन्धु, मैं किसी की भी तुलना नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि ये संभव नहीं है। सभी बाबा अपने आप में महारथी हैं। वैसे, मैं रामदेव को तब से जानता हूँ जब इन्हें कोई नहीं जानता था। तब मैं कनखल, हरिद्वार में शाखा प्रबंधक होता था।
और फिर, मित्र, कार्टूनिस्टार का अपना ही नज़रिया होता है, ये तो आप भी मानेंगे।
बेचारे बाबा रामदेव पद्म पुरस्कार से वंचित रह गए उनके ख़ास लोगों को टिकट भी नहीं मिला उनके किसी बात को मानने के लिए सरकार तैयार नहीं दीखती …अब भागते भूत की लागोटी ही सही …बहुत मिहनत किया था बेचारे बाबा ने भाजपा को जितने के लिए
बाबा ने पद्म पुरस्कार लेने से स्वयं ही मना कर दिया था. इसका समाचार भी आया था.