इतिहास

चलो आज नव सूरज छूलें !

चलो आज नव सूरज छूलें !

बादल आँखों, भर सकते है
चिड़ियों के दल उड़ सकते है
जब नदी वृक्ष ले बहती है
हम क्यों पीछे रह जाते है ?
अपने ऊपर विश्वास करें

चलो आज नव संकल्प करें ।

प्राची सूरज को लाती है
संसार का तिमिर मिटाती है
आशाएँ देती है हजार
जीने की राह सिखाती है
हम क्यों खाक छानते हैं ?
अपने जीवन की सही राह चुनें

चलो आज नव निर्मित होलें

जब कीकर सुंदर लग सकता
तन्हा वन प्रहरी बन हँसता
आँगन के नीम झकोरों में
ममता का आँचल लहराता
हम क्यों उदास हो जाते है?
अपने जीवन में ज्ञान भरें

चलो आज नव काम करें

जब कविता रस दे सकती है
किशमत लकीर दे सकती है
अखियों से अश्रु छलक जाते
जब अपनों से मिल जातीं हैं
हम क्यों मायूस भटकते है?
अपने को खुद स्नेह करें

चलो आज नव आनंद भरें

जब मछली समुद नहा सकती
सपनों को रजनी बुन सकती
नव सोच में मिलता है सब कुछ
दुनिया मुट्ठी मेन भर जाती
हम क्यों निरीह हो जाते हैं ?
अपने ऊपर विश्वास करें

चलो आज नव आकाश उड़े ॥

कल्पना मिश्रा बाजपेई

कल्पना मनोरमा

जन्म तिथि 4/6/1972 जन्म स्थान – औरैया, इटावा माता का नाम- स्व- श्रीमती मनोरमा मिश्रा पिता का नाम- श्री प्रकाश नारायण मिश्रा शिक्षा - एम.ए (हिन्दी) बी.एड कर्म क्षेत्र - अध्यापिका प्रकाशित कृतियाँ – सारंस समय का साझा संकलन,जीवंत हस्ताक्षर साझा संकलन, कानपुर हिंदुस्तान,निर्झर टाइम्स अखबार में,इंडियन हेल्प लाइन पत्रिका में लेख,अभिलेख, सुबोध सृजन अंतरजाल पत्रिका में। हमारी रचनाएँ पढ़ सकते हो । लेखन - स्वतंत्र लेखन संप्रति - इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य । सम्मान - मुक्तक मंच द्वारा (सम्मान गौरव दो बार )भाषा सहोदरी द्वारा (सहोदरी साहित्य ज्ञान सम्मान) साहित्य सृजन - अनेक कवितायें तुकांत एवं अतुकांत,गजल गीत ,नवगीत ,लेख और आलेख,कहानी ,लघु कथा इत्यादि ।

2 thoughts on “चलो आज नव सूरज छूलें !

  • बहुत अच्छा लगा यह गीत .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत !

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