आते आते मुझसे…
आते आते मुझसे दूर चले जाते हो
रह रह कर मुझे क्यों तरसाते हो
मैं तुझ पर मर मिटा दीवाना हूँ
फिर मुझे ही क्यों भरमाते हो
तुम तक पहुँच पाना संभव नहीं
क्या इसलिए गुस्सा जतलाते हो
प्रेम का अर्थ ही शाश्वत वियोग है
तुम ही तो मुझे यह समझाते हो
एक टीस ठहरी रहती है सीने में
क्या तुम भी ऐसे ही घबराते हो
किशोर कुमार खोरेन्द्र
वाह वाह !