जानिए कौन थे सहायक भारत की गुलामी के
यह तो सभी जानते है की भारत पर अरब के मुसलमनो ने आक्रमण लिया और उसे गुलाम बनाया , परन्तु भारत को गुलाम बनाना बिना स्थानीय सहायता के संभव हो ही नहीं सकता था । अरबी मुसलमनो को भारत में शासन करने और यंहा टिके रहने के लिए स्थानीय मदद यंहा के उच्च वर्ग कहे जाने वाले हिन्दुओ ने की । मुस्लिम आक्रमणकारि शासको ने भारत में अपने राज्य को चलाने के लिए ब्राह्मण और राजपूतो को अपनी सेना और प्रशासन में नियुक्त किया और देश पर राज किया ।
1- 711 में मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया और राजा दाहिर के राज्य को नष्ट किया , पर कासिम की सहायता करने वाला दाहिर का ब्राह्मण मंत्री सिस्कार था जिसे कासिम ने सिंध का टेक्स कलेक्टर बनाया । बाद मेंउसके इस्लाम अपनाने के बाद सिंध का उच्च मंत्री बनाया ।
2- महमूद गजनवी ने भारत में आक्रमण किया , भारी क़त्ल और लूटपाट किया । उसकी सेना में भारी तादात में उच्च वर्ग के हिन्दू थे , उसकी सेना में तीन डिवीजन हिन्दू सैनिको की थी जो ब्राह्मण और राजपूतो के आधीन थी जिनके नाम थे सुन्दर, नाथ और तिलक।
3- कुतुबुद्दीन और इलतुत्तमिश की शासन में ब्राह्मण ज्योतिष सलाहकार था ।
4- रजिया सुल्ताना को जब उसके मंत्रियो ने गद्दी से उतार दिया तो उसने पंजाब के जाटो और खोखरो की सेना तैयार कर दिल्ली पर हमला कर तख्ता पलटना चाहा।
5- गयासुद्दीन बलबन ने अपने शासन में बड़ी संख्या में राजपूतो और ब्राह्मणो को रेबन्यू कलक्टर और न्यायाधीश नियुक्त किया जो हिन्दुओ के मामले में फैसले लेते थे ।
6- मुहम्मद तुगलक ने श्रीराज को अपने राज्य का नाजिर नयुक्त किया । श्री मेहता को करनाल का प्रशासक और रतन को सिंध का सूबेदार बनाया।
तुगलक ने नरसिंह देव तथा यार्चिक देव नामक राजपूतो को अपना सलाहकार बनाया । राजशेखरन, भीम, मंत्रीमनक, महेंद्र सूरी, भट्टारक ,सिंहकीर्ति, सोमतिलक सूरी आदि भी मुस्लिम सुल्तानों ली सेवा में रहे ।
7- तैमूर लंग द्वारा भारत में स्थापित उसके राज्य के विस्तार और काम काज में भी हिन्दुओ ने काफी मदद की । सिकंदर लोधी के समय राज मान सिंह तोमर और उसका बेटा विक्रमादित्य उच्चाधिकारी था । विक्रमादित्य इब्राहिम लोधी का इतना स्वामिभक्त था की पानीपत के प्रथम युद्ध में वह बाबर की सेना द्वारा लड़ते हुए मारा गया था ।
इसके आलावा कुछ प्रसिद्ध उच्च वर्ण के हिंदू जिन्होंने विदेशी मुसलामन शासको की भारत में मदद की –
1- भगवंत दास- यह अम्बर का राजा था और राजा भारमल का बड़ा पुत्र था ,यह अकबर की ओर से राणा प्रताप से लड़ा था।
2- भारमल- भारमल पुत्र पृथ्वीराज , इसने अपनी पुत्री हरखा का विवाह 1596 में अकबर से साथ करदिया और अम्बर का शासक बना।
3- बीरबल – इसका नाम महेश दास था , आजीवन अकबर के दरबार में मंत्री रहे और अकबर की दीने इलाही कबूल करने वाले पहले व्यक्ति । अकबर की तरफ से लड़ते हुए अफगान युद्ध में मृत्यु।
4- मान सिंह – आजीवन अकबर की सेवा में रहा और और अपनी पुत्री मान बाई का विवाह भी मुस्लिम से किया ।
5- राम सिंह – यह बीकानेर के जागीरदार रामकल्याण का बेटा था । 1572 में अकबर ने राणा प्रताप के विरुद्ध युद्ध करने के लिए जोध पुर सीमा पर तैनात किया। इसने अपनी लड़की की शादी सलीम के साथ कर दी ।
6- टोडरमल – आरम्भ में यह शेरशाह की नौकरी करता था ,बाद में अकबर की सेवा में आ गया और रेवन्यू अधिकारी पद पर कार्य किया तथा हिन्दुओ से लगान एकत्रित कर अकबर को देता था ।
इसके आलावा सैकड़ो हजारो नाम और मिल जायेंगे जिन्होंने विदेशियो की सहायता और सेवा की और अपने ही देश को गुलाम बनाने में मदद की ।
इसमें शक नहीं कि भारत के इतिहास में गद्दारों की एक बड़ी संख्या हमेशा रही है. आज भी है. अगर ये न होते तो सबसे पहले तो देश किसी का गुलाम ही नहीं होता और अगर हो भी जाता तो स्वतंत्रता के लिए इतनी लम्बी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ती.
लेकिन यह भी सत्य है कि देशद्रोहियों की संख्या जहाँ केवल उँगलियों पर गिनी जाने योग्य है, वहीँ देशभक्तों की संख्या अनगिनत है. लेख में छांट-छांट कर केवल गद्दारों के नामों और उनकी करतूतों का उल्लेख किया गया है. अच्छा होता यदि देशभक्तों का भी उल्लेख होता. एक पक्षीय लेखों से लेखक की नकारात्मक प्रवृत्ति का ही परिचय मिलता है.