गीत/नवगीत

माँ!

maaनींद ना आई मुझे रात भर, याद बहुत तू आई माँ!
याद तुझे कर आँखें मेरी, सारी रात नहायी माँ!

वह आँचल की मीठी खुशबू, थपकी तेरी याद आई
तेरी लोरी के संग मुझको, बीतीं झपकी याद आई
फिर से तेरी गोद को पाने, बाँहें हैं अकुलाई माँ!

तेरे सीने से लगते ही, सारे दुख मिट जाते थे
तेरी बाँहों की शैया में, सारे सुख मिल जाते थे
जो खुशियाँ पाई थीं तुझमें, सारी हुईं परायी माँ!

तेरे छूते ही पलकें, कितनी बोझिल हो जाती थीं?
पहरों की जागी ये आँखें सपनों में खो जाती थीं!
तेरी ममता से बढ़कर है, कोई नहीं दवाई माँ!

आ फिर से बाँहों का पलना, ममता की छाया दे जा
तू अपनी लोरी-थपकी से, आँखों को सपने दे जा
क्या तुझको भी आँसू मेरे, देते नहीं दिखाई माँ!

3 thoughts on “माँ!

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    अतीव सुंदर सृजन ,ममतामयी आँचल से ओत-प्रोत

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार गीत !

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    bahut hi sunder

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