यथार्थ व्यंग गीतिका : अंगूर खात लंगूर
अंगूर खात लंगूर , जमाना किसने देखा
चमचो से सजी फौज का दुर्दांतहश्र सबने देखा ,
मिठाईयों पर भिनभिनाती मक्खी की तरह
जहाँ मे आई इन बीमारियों के तांडव मैने देखा
आज लाबीईग का जमाना हुआ उल्लू का शृंगार
सुख सुविधा नित गटक रहे झूठे उनके कागज लेखा
बाते लंबी-चौड़ी करते असत्य हुआ उनका आगार
संबंध करें नित खंड -खंड बाजार मे बिकते देखा
हर गली और चौवारों मे सजता -रहता इनका प्रचार
मान अरू सम्मान बेचते दौलत खातिर सबने देखा
ख्वाविशें उनकी धरा को दे रहीं कलुषित विचार
मधुमक्खी के छत्ते सा इनको फैलते नित देखा
एक नही हर गली- गली शहर के नुक्कड़ का सुधार,
जर्जर सड़कें व्यथित पथिक पीड़ा को उनके सबने देखा
— राजकिशोर मिश्र [राज]
बढ़िया व्यंग्य कविता !
आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल जी हौसला अफजाई के लिए आभार
आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा जीआपके हार्दिक त्वरित प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया एवं धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से कोटिश आभार ,
राज किशोर जी , अछे दिन आने वाले हैं .
तुलसीदास जी राम चरित मे लिखते है = समरथ को नहि दोष गोसाईं ,,, रवि ,सुरसरि पावक की नाईं ///
बड़े भाई साहब सामर्थ्य शाली व्यक्तियों मे कोई दोष देखने का दुस्साहस नही करता है अगर सूर्य देव की प्रचंड किरने आतपकी वर्षा करने लगें तो सूर्य को कोई दोष नहीं देता गर्मी कोही कोसता है गंगा जी गाँव के गाँव बहा ले जायं दोष बरसात के बाढ़ को जाता है अग्नि देव घर जला दे कोई नहीं कहेगा शर्ट
सर्किट या बच्चे ने चिमनी [दिये] से आग लग गयी ,,,अच्छे दिन का नमूना है ,
राज किशोर जी , मैंने भी घिसा पिटा वाक्य लिख दिया था . मैं तो बचपन से देखता आया हूँ कि अछे दिन गरीब की जिंदगी में आये ही नहीं बलिक पहले से बुरे हुए हैं. हाँ इलेक्ट्रीकल गुडज़ बहुत बड गई है , लोगों के पास लुक्श्री गुडज़ आ गई हैं , कारें आ गई हैं लेकिन किसान कियों खुद्कशियाँ कर रहे हैं , सोचने की बात है . अमीर के लिए तो कोई ज़माना भी उतम है. हमारे नेता लोग सत्ता में आने के लिए किया कुछ नहीं करते और जब सत्ता पर काबिज़ हो जाते हैं तो कहने की जरुरत नहीं कि किया कुछ करते हैं , सारा खानदान सिआसत में आ जाता है , गद्दी मरते दम तक छोड़ते ही नहीं . अंग्रेजों से हम ने बुरी चीज़ें तो बहुत सीख ली लेकिन अच्छी बात कोई नहीं सीखी . मिसाल दूँ यहाँ की इलेक्शन की तो लेबर पार्टी हार गई और पार्टी के मैम्बर नया लीडर चुन रहे हैं . पुराना लीडर ऐड मिलिबैंड ने भी अपनी गलती माँन ली है . ऐड मिलिबैंड अभी बहुत यंग है लेकिन उस ने पार्टी की खातिर पीछे रहना सवीकार कर लिया , यह है देश की सिआसत . अब भारत का मुकाबला करें तो मुझे हंसी आती है कि लोग इतने बूड़े हो जाते हैं कि उन को चलने के लिए सहारे की जरुरत होती है लेकिन सत्ता छोड़ने को जी नहीं चाहता .
आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा जी आज भारतीय राजनीति स्वार्थ एवम् सत्ता लोलुप्ता की पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी है , ब्रिटेन प्रधानमंत्री चर्चिल ने कहा है विपक्ष का काम विरोध करना है ,,,,
आज हमारे प्रधानमंत्री कुछ अच्छा कार्य करते है तब पर भी विरोध का सामना करना पड़ता है
अगर उत्तर प्रदेश की राजनीति की बात करते हैं तो कल के सरकार द्वरा किए गये कार्य परसों आने वाली सरकार ध्वस्त कर देती है , यह हमारे राजनीति की विडम्बना है विकाश गौण है प्रतिकार प्रमुख,,,,,, कुर्सी की माया के बाहुपाश सतत उन्हे अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं ,,, पराजय को स्वीकार करना उनके शब्द कोष मे नही है