शिशु गीत : चाँद सो गया
चाँद सो गया रात मे
देखा सपना प्रात में
चाँद की मम्मी सुला रही थी,
प्यारी लोरी सुना रही थी …
सो जाओ मेरे लाल अभी
आने वाली प्रात अभी
कलरव करते नभ में विहंग
झुंड-झुंड में उड़े विहंग
मातु गीत सुनाय रही है
चाँद को आज सुलाय रही है
गीत संग में प्यारी थपकी
रात चाँद ले रहा है झपकी
— राजकिशोर मिश्र
१६/०५/२०१५
राज जी , बाल कविता तो अच्छी है लेकिन शब्द कुछ सरल हों तो मुझ जैसे कम हिंदी जान्ने वालों के लिए भी आसान लगे . विजय भाई से मैं सहमत हूँ .
आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा जी हम आपके कथन से पूर्णतया सहमत है
आगे से बाल कविता सरल शब्दों की मणिकाओं मे पिरोने के लिए तत्पर रहूँगा
आपके दिशा निर्देश का सादर स्वागत एवम् अभिनंदन
अच्छी बाल कविता ! एकाध शब्द बच्चों के अनुसार कठिन है. जैसे कलरव, विहंग, नभ… उनकी जगह सरल शब्द होने चाहिए.
आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल जी हम आपके कथन से पूर्णतया सहमत है
आगे से बाल कविता सरल शब्दों की मणिकाओं मे पिरोने के लिए तत्पर रहूँगा ,,,,
आपके दिशा निर्देश का सादर स्वागत और आभार
बहुत खूब , वाह वाह .
आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा जीआपके हार्दिक त्वरित प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया एवं धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से कोटिश आभार ,