मैं नहीं चाहता…
मैं नही चाहता कि तुमको भुल जाऊँ
हमेशा के लिए दिल में जगह बनाऊँ
भले ही दूरी है हमारे-तुम्हारे बीच में
मिटाने केलिए कोई तरकीब बनाऊँ
दूरियाँ मिटाकर दोनों एक हो जाऊँ
चाँदनी रातों में दोनों लुप्त उठाऊँ
तुम्हारे लिये हमेशा मन करता मेरा
चाँद-तारो को धरती पर खिच लाऊँ
आनंदात्मक पलों का एहसास करूँ
दुनिया जहान का यहाँ ख्याल करुँ
आसमानों का सैर बारम्बार करूँ
यही इच्छा शक्ति को बरकरार रखूँ!
मुझे इतनी भी खबर लग ही गयी है
दुनिया तुम्हारी कहीं और सज रही है।
सुगंधित दुनिया में मुझे भी जगह देना
यादों के जरिये कभी मेरा नाम लेना
बढ़िया ! हालाँकि इसमें कहीं कहीं सुधार की संभावना है.
जी !धन्यवाद!!