ख्वाहिश अपने दिल की
ख्वाहिश अपने दिल की
हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी ना दीजिये
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी ना दीजिये
तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया
चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो
मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्र भक्ति दीजिये
तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
करने को समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ
जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ
ऐसी कृपा कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ
प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
अच्छी भावनाएं, बढ़िया कविता !