उम्मीद
मैं जब कभी -कभी कमरे में जाकर,
शान्तिः जहां पर होता है,
चुपके से अपनी लिखी हुई पुराना कागज पढता हूँ
मेरे जीवन का कुछ विवरण अक्षरों में अंकित है
वह एक तरह का पुराना प्रेम-पत्र है
जो लिखकर, रखे थे देने के लिए किसी को,
जिसे पाने वाला काफी दूर चला गया है।
मिलने की कोई उम्मीद नहीं
फिर भी आश लगाये हुए हैं
इसी वजह से उसे कभी -कभी कोने में जाकर,
एकांत जहा पर होता है ।
उस पन्ने को दोहराया करते हैं।
@रमेश कुमार सिंह
वाह !
धन्यवाद!