कविता

एक बार ….

बस एक बार माँ ,

मुझे भी इस धरा पर आने दो |

मेरी अपनी जिंदगी ,

इस जहां में जीने दो |

क्या कसूर है मेरी ,

जो मुझे मारना चाहती |

मैं भी तुम्हारे जैसा ,

एक दिन हो जाउंगी |

अभी तो मैं कलियाँ हूँ ,

कलियाँ को फूल जाने दो|

मैं अपने दिलों में ,

उम्मीद लगाये बैठी हूँ |

तेरी इस सुनी गोद में ,

कब आकर मैं बैठूंगी |

कहाँ गए वो आँचल तेरा ,

जो ममता से भरी होती हैं |

उस आंचल में मुझे ,

बस एक बार छुप जाने दो |

बस एक बाऱ माँ ,

मुझे इस धरा पर आने दो

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

3 thoughts on “एक बार ….

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया कविता !

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad

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