समय की सदुपयोगिता
हमें अपना जीवन आदर्शो के आधीन करना है,
अपनी मेहनत को अपनी
उपलब्धियों में परिवर्तित करना है,
प्रकृति में एक बीज से कई पुष्प बनते है,
एक पुष्प से फिर कई बीज बनते हैं ,
यही विस्तार का जीवन है , इसे हमें सजाना है ,
समृद्धि और खुशहाली का जीवन हमें अपनाना है,
चंदा सूरज सब गृह और तारे,
सभी समय की परिधि में बंध कर
निरंतर गतिमान है…
करने को नव सृजन ,निशा से प्रभात की और,
आगे बढ़ने में ही मनुष्य का सम्मान है,
समय प्रति पल परिवर्तित होता हुआ दौड़ रहा है,
अपनी लक्ष प्राप्ति के लिए सबको पीछे छोड़ रहा है.,
यह जीवन भी ‘समय’ की प्रतियोगिता है,
वही सफल है जिसके जीवन में—
समय की सदुपयोगिता है,
— जय प्रकाश भाटिया
अच्छी कविता !