हम तुम्हारे लिए, तुम हमारे लिए
हम तुम्हारे लिए,तुम हमारे लिए
जन्मों -जन्मों की सौगंध खाएं प्रिये !
एक पल के लिए भी न हों दूरियां ,
चाहे जैसी भी जितनी हों मजबूरियां
आरती के दिए , हाथ में हम लिए ,,
जन्मों-जन्मों की सौगंध खाएं प्रिये !
हम तुम्हारे लिए तुम…….
चांदनी रात हो, आपका साथ हो,,
दिल से दिल भी मिले, बात से बात हो
और क्या चाहिए,ज़िन्दगी के लिए
जन्मों- जन्मों की सौगंध खाएं प्रिये !
हम तुम्हारे लिए, तुम हमारे लिए
जन्मों- जन्मों की सौगंध खाएं प्रिये !
— शुभदा बाजपेयी छतरपुर नई दिल्ली
बहुत खूब !
बहन जी , अगले जनम का तो मुझे पता नहीं लेकिन इस जनम में हम ने ऐसी ही जन्दगी जी है और जी रहे हैं . हमारी शादी को ४८ वर्ष हो गए हैं और आखिर तक हम ऐसे ही जिंदगी का लुत्फ उठाते रहेंगे .