मुक्तक
ज़िन्दगी को वो चौसर की विसात बना बैठे
उनकी चाल से जिंदगी को खैरात बना बैठे
दस्तूर-ए-ज़िन्दगी की रवायत यही है शायद
बनके प्यादा खुद को राजा बेताज बना बैठे ।
… Gunjan Agarwal
ज़िन्दगी को वो चौसर की विसात बना बैठे
उनकी चाल से जिंदगी को खैरात बना बैठे
दस्तूर-ए-ज़िन्दगी की रवायत यही है शायद
बनके प्यादा खुद को राजा बेताज बना बैठे ।
… Gunjan Agarwal
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मुक्तक अच्छा है, पर उर्दू के कठिन शब्दों की भरमार खटकती है. ऐसे शब्दों का अर्थ भी देना चाहिए.