कविता
शहीदों को श्रद्धांजलि..
हूँ मै सिपाही __
वतन की मिट्टी मे देखो सो गया हूँ ,
ना ढूंढना मुझे मैं अब खो गया हूँ |
वतन की खातिर मिटता आया हूँ ,
हूँ मैं सिपाही यूंही वतन के लिए लड़ता आया हूँ|
हैं ज़ख्म अभी गहरे भारत माँ के जानता हूँ ,
है नहीं महफूज़ देश की सुरक्षा मानता हूँ |
ना उम्र ,ना माँ के आँसु ,ना घर बार देखता हूँ ,
अपने वतन के लिए जीता और मरता हूँ |
जब तक है जान ना आन, शान इसकी मिटने दूंगा ,
मेरे खून का इक – इक कतरा न्योछावर इसपे करता हूँ
हाँ हूँ मै सिपाही यूंही वतन के लिए जीता हूँ |||
कामनी गुप्ता जम्मू ***
बहुत खूब !
धन्यवाद सर जी!
बहुत अच्छी कविता .
Ji dhnyabad