आज …..
आज बैठ गयी कुछ नया लिखने ,
नए -नए यादो में ,
नए शब्द पिरोने ,
शायद कभी नही लिखी हो ,
मैं भी अजीब हूँ ,
नए शब्द को खोजते -खोजते ,
खुद ही कही खो जाती हूँ ,
आज पूरी कर दूंगी ,
जो लाइने छोड़ी थी अधूरी ,
लफ्जो के बीच जो जगह है बाकी,
आज उसे भी पूरा करुँगी |
निवेदिता चतुर्वेदी
वाह !
dhanybad