फिर होगा सागर मंथन…कविता
फिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |
हर युग के रावण के संहार के लिए तुम एक मिसाल बन जाओ |
फिर होगा सागर मंथन तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |
छट जाएगा अब अँधेरा अब तो कण कण झल्ला उठा है,
देखकर मानवता के गिरते स्तर को फिर सच्चाई ने अवतार लिया है |
फिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |
जाने कौन रूप मे रूबरू हमसे वो पल होगा ,
अवनति की ओर बड़ती धरती का कुछ भार तो कम होगा |
तुम भी इसमे भागीदार बन जन – जन मे नव चेतना जगाओ |
फिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |||
कामनी गुप्ता ***
वाह वाह !
Thanks sirji