गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : दर्दे दिल

जाना जिनको कल अपना, वे आज हुए पराये हैं

दुनिया भर के सारे गम आज मेरे पास आए हैं

ना पीने का है आज मौसम , ना काली सी घटाए हैं
आज फिर से नैनो में क्यों अश्क बहके आए हैं

रोशनी से आशियाना यारो अक्सर जलता है
अँधेरे मेरे मन को आज बहुत ज्यादा भाए है

जब जब देखा मैंने दिल को, ये मुस्कराके कहता है
और भी जगह बाक़ी है, जख्म अभी कम पाए हैं

अब तो अपनी किस्मत पर रोना भी नहीं आता है
दर्दे दिल को पास रखकर, हमेशा हम मुस्काए हैं

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

2 thoughts on “ग़ज़ल : दर्दे दिल

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर ग़ज़ल !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

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