ग़ज़ल : दर्दे दिल
जाना जिनको कल अपना, वे आज हुए पराये हैं
दुनिया भर के सारे गम आज मेरे पास आए हैं
ना पीने का है आज मौसम , ना काली सी घटाए हैं
आज फिर से नैनो में क्यों अश्क बहके आए हैं
रोशनी से आशियाना यारो अक्सर जलता है
अँधेरे मेरे मन को आज बहुत ज्यादा भाए है
जब जब देखा मैंने दिल को, ये मुस्कराके कहता है
और भी जगह बाक़ी है, जख्म अभी कम पाए हैं
अब तो अपनी किस्मत पर रोना भी नहीं आता है
दर्दे दिल को पास रखकर, हमेशा हम मुस्काए हैं
— मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुंदर ग़ज़ल !
बहुत खूब .