गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका : चाँद आया था…..

चाँद आया था मेरे साथ-साथ बाग में
विस्मित हो जा छुपा रंगों की फाग में ॥

उछलता रहा रात भर वो वल्लरियों में
थका हारा जा गिरा झरनों के झाग में ॥

उड़तीं रहीं तितलियाँ पराग की प्यास में
झूमती रहीं वो दर-बदर प्रेम के राग में ॥

नाचती रही चाँदनी बिन थके हुए बाग में
उबटन घिसता रहा चाँद अपने दाग में ॥

चटकतीं रहीं कलियाँ प्रणय के खेल में
डूबती रही मन रागिनी मंजु सुहाग में ॥

कल्पना मिश्रा बाजपेई

कल्पना मनोरमा

जन्म तिथि 4/6/1972 जन्म स्थान – औरैया, इटावा माता का नाम- स्व- श्रीमती मनोरमा मिश्रा पिता का नाम- श्री प्रकाश नारायण मिश्रा शिक्षा - एम.ए (हिन्दी) बी.एड कर्म क्षेत्र - अध्यापिका प्रकाशित कृतियाँ – सारंस समय का साझा संकलन,जीवंत हस्ताक्षर साझा संकलन, कानपुर हिंदुस्तान,निर्झर टाइम्स अखबार में,इंडियन हेल्प लाइन पत्रिका में लेख,अभिलेख, सुबोध सृजन अंतरजाल पत्रिका में। हमारी रचनाएँ पढ़ सकते हो । लेखन - स्वतंत्र लेखन संप्रति - इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य । सम्मान - मुक्तक मंच द्वारा (सम्मान गौरव दो बार )भाषा सहोदरी द्वारा (सहोदरी साहित्य ज्ञान सम्मान) साहित्य सृजन - अनेक कवितायें तुकांत एवं अतुकांत,गजल गीत ,नवगीत ,लेख और आलेख,कहानी ,लघु कथा इत्यादि ।