बचपन
वो बचपन जो कहता
ना चुप सा रहता
बस बेबाक हँसता |
वो बचपन जो दिलाता
ऐहसास कि हम हैं
जीवन है कुछ खास |
वो बचपन जिस मे नहीं
कोई द्वेष कोई मतभेद
समझता जो एक सा सबको |
वो बचपन जिसे नहीं
कोई खटकता ना कोई खलता
लगता बस हँसी सा जहाँ |
वो बचपन यहाँ मासूम ज़िद्द
बस और कोई खोट नहीं
साजिश नहीं बस यूंही मुस्काता |
वो बचपन जो आने वाले
कल के लिए नहीं भूलता
जीना जीभर के अपने आज को |
वो बचपन निःस्वार्थ सा
बस छोटी सी दुनिया मे
अपनी बेशुमार खुशियों को समेटता |||
— कामनी गुप्ता
बहुत सुंदर !
Thanks sirji..