मेरा बचपन….
अपने बचपन की बातें मुझे आज भी याद है
साथियों के साथ खेलना कुदना बहुत सुंदर पल था
टोली बनाकर नदी में स्नान करने जाते थे
पानी में बहुत देर तक डुबकीयां लगाया करते थे
नदी के किनारे पर बैठ कर रेत से खेलवाड़ करते थे
रेत और पानी को मिलाकर सपनों का महल बनाते थे
आपस में टक्कर करके अलग-अलग सजाते थे
क्षणभर का ओ महल बनकर तैयार हो जाता था
क्षणिक पलों में लहरों के थपेड़े से धराशायी हो जाता था
जैसे कि सपनों में दिखा सुन्दर महल,सुबह में विलुप्त हो जाता है
ये रातों में सपने दिखते हैं ,उस समय दिन में सपने बुनते थे
कितना अच्छा लगता था आपस में बुलबुला खेलते थे
इससे भी अच्छा लगता था पानी एक दूसरे पर फेकते थे
उस पानी के चोट में सुनहरा प्रेम छलकता था
पानी के अंदर मछली को चलते हमने देखा था
पानी के अंदर मछली की तरह हम भी चला करते थे
थककरके जब घर पर वापस लौट आया करते थे
सुख के आनन्दानुभूति में डुब जाया करते थे
अपने बचपन की बातें मुझे भी आज भी याद है
@रमेश कुमार सिंह,/०८-०६-२०१५
बढ़िया !
धन्यवाद श्रीमान जी आभार!