कविता

कविता : खुले आकाश तले

खुले आकाश तले,

मैं बैठा था उस रोज,

विचार कर रहा था,

अपने ही अस्तित्व पर !

 

कि कौन हूं मैं,

और कहाँ से आया हूं,

तलाशता रहा मैं,

जिंदगी के ध्येय को !

 

उस नीले गगन में दिखे,

कुछ घने बादल,

दिला रहे थे,

वो यकीन मानो,

कि बरसेंगे वे भी,

एक रोज,

और कर देगें तृप्त,

इस प्यासी धरा को !

 

भर जायेंगे,

सभी सूखे जल स्रोत,

खिल उठेंगे फिर,

पेड़-पौधे और वनस्पति !

 

बोध हुआ फिर मुझे,

मानव जीवन के ध्येय का,

स्मरण हो चले सभी कर्तव्य !

 

दृढ विश्वास के साथ ,

निश्चय किया फिर,

मंजिल की ओर बढ़ने का !

 

नीले आकाश में,

उमड़ते वो घने बादल,

प्रेरणा स्रोत बन गए,

मेरे लिए  !

– मनोज चौहान

मनोज चौहान

जन्म तिथि : 01 सितम्बर, 1979, कागजों में - 01 मई,1979 जन्म स्थान : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के अंतर्गत गाँव महादेव (सुंदर नगर) में किसान परिवार में जन्म l शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी l सम्प्रति : एसजेवीएन लिमिटेड, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से (दैनिक भास्कर में प्रथम लेख प्रकाशित) l प्रकाशन: शब्द संयोजन(नेपाली पत्रिका), समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, मधुमती, आकंठ, बया, अट्टहास (हास्य- व्यंग्य पत्रिका), विपाशा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, हिमभारती, शुभ तारिका, सुसंभाव्य, शैल- सूत्र, साहित्य गुंजन, सरोपमा, स्वाधीनता सन्देश, मृग मरीचिका, परिंदे, शब्द -मंच सहित कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रकाशित पुस्तकें : 1) ‘पत्थर तोड़ती औरत’ - कविता संग्रह (सितम्बर, 2017) - अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद(ऊ.प्र.) l 2) लगभग दस साँझा संकलनों में कविता, लघुकथा, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रसारण : आकाशवाणी, शिमला (हि.प्र.) से कविताएं प्रसारित l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय – महादेव, तहसील - सुन्दर नगर, जिला - मंडी ( हिमाचल प्रदेश ), पिन - 175018 वर्तमान पता : सेट नंबर - 20, ब्लॉक नंबर- 4, एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफिस- दत्तनगर, तहसील - रामपुर बुशहर, जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश)-172001 मोबाइल – 9418036526, 9857616326 ई - मेल : [email protected] ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com

4 thoughts on “कविता : खुले आकाश तले

  • महातम मिश्र

    अच्छी रचना मान्यवर, बधाई

    • मनोज चौहान

      धन्यवाद सर …!

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर कविता !

    • मनोज चौहान

      धन्यवाद सर …!

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