एक मुक्तक
अब दर्द भी छुपाने पड़ते हैं
कहकहे झूठे लगाने पड़ते हैं
दिखावो का दौर है आजकल
अपना होने में ज़माने लगते हैं
नीलिमा शर्मा (निविया)
अब दर्द भी छुपाने पड़ते हैं
कहकहे झूठे लगाने पड़ते हैं
दिखावो का दौर है आजकल
अपना होने में ज़माने लगते हैं
नीलिमा शर्मा (निविया)
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अच्छा मुक्तक !