दोहे : रूप तुम्हारा देखकर…
अलियों – कलियों में हुई , कुछ ऐसी तकरार ।
बूँद – बूँद में घुल रही ,मधुरिम प्रेम फुहार ।।
प्रीत-पपीहा गा रहा , मीठे-मीठे राग ।
सावन के झूले पड़े ,सुलगी विरही आग ।।
नन्हा पादप कह रहा , सुन रे पेड़ चिनार ।
बरस जाय मेघा अगर , दे दो इक दीनार ।।
गोरी तेरे प्यार में , बिसर गया संसार ।
दर-दर ठोकर खा रहा, मिला न तेरा प्यार ।।
रूप तुम्हारा देखकर, मन मेरा ललचाय ।
प्रेम नगर में खलबली, तन-मन भीगा जाय ।।
aabhar bhaiya
अच्छे दोहे !