किस्मत लिखने की कलम
काश ! किस्मत लिखने की भी कलम कोई रहती,
अपनी हाथ से मैं मनचाही किस्मत लिखती।
प्यार का सागर लिखती खुशियों का आसमान,
तब पूरा होते हमारे सभी ख्वाब और अरमान।
मंजिल की राह के काँटों को हटा देती कलम से,
एक ही बार में मंजिल तक नाप लेती कदम से।
धरती से भी अधिक लिखती धैर्य और सहनशक्ति,
पंछी से अधिक होती हौसले की उड़ान की गति।
दीपक जैसा अंधेरा चीरकर देती ज्ञान प्रकाश,
मेरे चमन की खुशबू से रौनक होता जमीं आकाश।
दीन-दुखियों को तन-मन-धन से बनती सच्चा साथी,
इतिहास के पृष्ठों पर अपना स्वर्णाक्षरों में नाम लिख जाती।
-दीपिका कुमारी दीप्ति
आप सब का सादर धन्यवाद !
सुन्दर रचना .
बहुत खूब !
सुन्दर भाव धारा