इंतज़ार भरी दो आँखें
उम्मीद भरी दो आँखें
आस भरी दो आँखें
माथे की बिंदिया बुलाये
आँखों की उम्मीद बुलाये
बिना आवाज़ दो आँखे
आंसू बह न पायें
पलके झपक न पायें
बेबस हैं दो आँखें
लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर,
तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है
तीन कविता संग्रहो की संपादिका
तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका
कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं
सह संपादक 'जय विजय'
कविता बहुत अच्छी लगी .
बहुत खूब !