कविता

मन

मन चंचल क्यों होता है |
कभी हँसता कभी रोता है |
कभी सपने आकाश छूने के |
कभी धरती पर रह जाने के |
सुकून नहीं कभी मिलता कहीं|
कहीं छोटे-छोटे पल दे जाते खुशियां कईं |
हर पल हसीं सपने संजोता है |
यह मन चंचल क्यों होता है |
कभी साहिल पे ठहर जाता है |
कभी तूफानो से भी लड़ता है |
यह मन भी कैसा होता है |||

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

4 thoughts on “मन

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बस यह मन ही है , कभी अप कभी डाऊन, जिंदगी ऐसे ही चलती है .

    • कामनी गुप्ता

      Shukriya sirji

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह

    • कामनी गुप्ता

      Thanks sirji

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