मन
मन चंचल क्यों होता है |
कभी हँसता कभी रोता है |
कभी सपने आकाश छूने के |
कभी धरती पर रह जाने के |
सुकून नहीं कभी मिलता कहीं|
कहीं छोटे-छोटे पल दे जाते खुशियां कईं |
हर पल हसीं सपने संजोता है |
यह मन चंचल क्यों होता है |
कभी साहिल पे ठहर जाता है |
कभी तूफानो से भी लड़ता है |
यह मन भी कैसा होता है |||
— कामनी गुप्ता
बस यह मन ही है , कभी अप कभी डाऊन, जिंदगी ऐसे ही चलती है .
Shukriya sirji
वाह वाह
Thanks sirji