मेरा देश तो अब आज़ाद है
गरीब अब भी फुटपाथ पर सोता है|
भूख से जाने कितनो का दम निकलता है |
पर मेरा देश तो अब आज़ाद है |
भ्रष्टाचार का व्यापार है ना कोई सरोकार है |
ईमानदारी कौने मे बैठी बस बदहाल है |
पर मेरा देश तो अब…….
शहीदों को भी कभी इंसाफ कम ही मिलता है |
कुछ नेताओं की होती बस जय जयकार है |
पर मेरा देश तो अब……
विदेशी बातों मे गर्व होता स्वदेशी चीज़ों का तिरस्कार है |
देश को समृद्ध बनाने मे कौन कितना देता योगदान है |
पर मेरा देश……..
झूठ को निरंत्तर पाँव पसारते देखा है |
सच का अब भी कितना बुरा हाल है |
पर मेरा देश…….
हर क्षेत्र मे यूं तो बड़ रहा कारोबार है |
पर असलियत है क्या इससे जाने क्यों सब को इन्कार है |||
कैसे कह दें कि मेरा देश……
— कामनी गुप्ता
badiya..
Thanks ji
देश की सही तस्वीर .
Shukriya sirji
बढ़िया कविता !
Thanks sirji