कविता

मेरा देश तो अब आज़ाद है

गरीब अब भी फुटपाथ पर सोता है|
भूख से जाने कितनो का दम निकलता है |
पर मेरा देश तो अब आज़ाद है |
भ्रष्टाचार का व्यापार है ना कोई सरोकार है |
ईमानदारी कौने मे बैठी बस बदहाल है |
पर मेरा देश तो अब…….
शहीदों को भी कभी इंसाफ कम ही मिलता है |
कुछ नेताओं की होती बस जय जयकार है |
पर मेरा देश तो अब……
विदेशी बातों मे गर्व होता स्वदेशी चीज़ों का तिरस्कार है |
देश को समृद्ध बनाने मे कौन कितना देता योगदान है |
पर मेरा देश……..
झूठ को निरंत्तर पाँव पसारते देखा है |
सच का अब भी कितना बुरा हाल है |
पर मेरा देश…….
हर क्षेत्र मे यूं तो बड़ रहा कारोबार है |
पर असलियत है क्या इससे जाने क्यों सब को इन्कार है |||
कैसे कह दें कि मेरा देश……

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

6 thoughts on “मेरा देश तो अब आज़ाद है

  • प्रीति दक्ष

    badiya..

    • Thanks ji

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    देश की सही तस्वीर .

    • Shukriya sirji

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया कविता !

    • Thanks sirji

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