ग़ज़ल
ये रिश्ते और ये शादी सभी केवल बहाना ….है ,
मुहब्बत वो तराना है जो सबको गुनगुनाना है |
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चला है कौन सा नम्बर तुम्हारी आइडी है क्या ,
मुझे इतना बता देना तुम्हारा क्या ठिकाना ..है |
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रहो तुम दूर ही बेशक मगर नेट पर बनी रहना ,
इसी पर बात करनी है इसी पर रूठ जाना… है |
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हमारी याद आये तो फकत नेट पर चली आना ,
न मम्मी को खबर होगी न डेडी को बताना …है |
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यहीं दिल मिलन होता यहीं दिल टूट कर बिखरे ,
न कोई जान पाता है समय कितना सयाना.. है |
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हुआ आलोक आशिक ये सभी से इश्क फरमाए ,
यही दौलत कमाई है गले सब को लगाना ….है |
— अनन्त आलोक