मुक्तक/दोहा

दोहा

दोहा

पहले -तीसरे चरण में १३ मात्राएँ ,[6+4+1+2,/,3+3+4+1+2]
दूसरे–चौथे चरण में ११ मात्राएँ[6+4+1//3+3+2+2+1]

फूल बिना महिमा घटी,
चंदन कहत, जलजात।
आकुल मन रजनी चली ,
रवि शशि बिनु दिन-रात।। [1]

मायामय जग को कहे,
रवि सम्मुख अँधियार।
कामी कंठ हरिगुन कहे,
समझ समय सुविचार।। [२]

मलयागिरि महिमा कहे ,
राज सकल गुण खानि।
बहत पवन शीतल लगे
मदनामृत सम जानि।।   [3]

लगे फूल गूलर सदा ,
देख मिलत नहि कोय।
सहज भाव से मयकदा
जात दिखे नहि कोय।। [4]

राजकिशोर मिश्र ”राज”

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

6 thoughts on “दोहा

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे दोहे, लेकिन पहले दोहे के दूसरे चरण और दूसरे दोहे के तीसरे चरण में एक एक मात्रा अधिक है।

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय सादर नमन , हौसला अफजाई के लिए आभार

      मात्रा भार ====

      फूल बिना महिमा घटी,

      २१ १२ ११२ १२

      चंदन कहत, जलजात।

      १११ १११ ११२१

      आकुल मन रजनी चली ,

      २११ ११ ११२ १२

      रवि शशि बिनु दिन-रात

      ११ ११ ११ ११ २१

      मायामय जग को कहे,

      २२११ ११ २ १२

      रवि सम्मुख अँधियार।

      ११ ११११ ११२१

      कामी कंठ हरिगुन कहे,

      २२ ११ ११११ १२

      समझ समय सुविचार

      ११११ १११ ११२१

      • विजय कुमार सिंघल

        चं की मात्रा २ है, एक नहीं।
        इसी तरह कं की मात्रा २ होती है।

        • राज किशोर मिश्र 'राज'

          विसर्ग एवम्अनुस्वार से युक्त वर्ण भी “दीर्घ”होता जाता है

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय रमेश कुमार सिंह जी , हौसला अफजाई के लिए आभार

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