कविता

मेरे वतन के लोगो

मेरे वतन के लोगो
वतन के लोगो वतन को ,आतंक बचालो
आतंक के कहर को मिलकर वतन से निकालो
सोने की चिड़िया के वतन को फिर से सजा लो
संबंधो के बंधन कभी न टूटे ,इन्हे मजबूत बना लो
वतन के लोगो ………….
आतंक का जहर कही फैल ना जाये वतन मे
बंध न जाए कही वतन गुलामी जंजीरों में
रोको इसे आतंक से बचालो, ओ मेरे देश के रखवालो
मेरे वतन के लोगो जरा जागो देश संभालो
वतन के लोगो ……….
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मिलकर रहे वतन में
भाई चारे को तोड़ने आए बहुत ,बने रहे एक चमन में
मनोबलों को टूटने से बचालो ,ओ मेरे देेश के रखवालों
मेरे वतन की लोगों जरा जागों देश संभालों
वतन के लोगो……………
दिया तिरंगे को रंग शहीदों की क़ुरबानी से वतन में
नाज है हमें चुमते जमी को सब लोग वतन में
बन प्रहरी आतंक से बचालो ओ मेरे देश के रखवालों
मेरे वतन के लोगों जरा जागो देश संभालो
वतन के लोगो……………

संजय वर्मा ‘दृष्टि “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच

One thought on “मेरे वतन के लोगो

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत।

Comments are closed.