आज़ाद देश की गुलाम नारियो
जागो
स्वतंत्रता दिवस है
एक दिन के लिए ही सही
तुम भी
आज़ादी मना लो
रोज़ गुलामी करती हो
सब की
आज मत सुनना
किसी की
आज स्वतंत्रता दिवस है
ये बता दो
आज बस एक दिन
आज़ादी मना लो
मत डरना
आज किसी भी शैतान से
याद करना
झांसी की रानी को
और अपनी आज़ादी मना लो
बस एक दिन
आज़ादी मना लो
लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर,
तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है
तीन कविता संग्रहो की संपादिका
तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका
कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं
सह संपादक 'जय विजय'
बहत सुन्दर कविता !
बहुत सुन्दर रचना , नारी शक्ति को आगे आना चाहिए .