कविता

आज़ादी मना लो

आज़ाद देश की गुलाम नारियो blogger-image-552109468
जागो
स्वतंत्रता दिवस है
एक दिन के लिए ही सही
तुम भी
आज़ादी मना लो
रोज़ गुलामी करती हो
सब की
आज मत सुनना
किसी की
आज स्वतंत्रता दिवस है
ये बता दो
आज बस एक दिन
आज़ादी मना लो
मत डरना
आज किसी भी शैतान से
याद करना
झांसी की रानी को
और अपनी आज़ादी मना लो
बस एक दिन
आज़ादी मना लो

रमा शर्मा

लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर, तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है तीन कविता संग्रहो की संपादिका तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं सह संपादक 'जय विजय'

2 thoughts on “आज़ादी मना लो

  • विजय कुमार सिंघल

    बहत सुन्दर कविता !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर रचना , नारी शक्ति को आगे आना चाहिए .

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