कह दो कैसे प्यार लिखूँ
दिल में जब अंगार भरे हो
कैसे फिर श्रृंगार लिखू
आँखों में अश्रुधारा ले
कह दो कैसे प्यार लिखूँ
जिसने हरदम हमला बोला
मेरे देश की धरती पर
क्यों ना फिर मैं खुल के उनको
भारत का गद्दार लिखूँ
जात पात और धर्म की आड़ ले
मत उनको मासूम कहो
हां वो कातिल मानवता के
खुल के मैं हर बार लिखूँ
— मनोज डागा