कविता

कह दो कैसे प्यार लिखूँ

दिल में जब अंगार भरे हो
कैसे फिर श्रृंगार लिखू
आँखों में अश्रुधारा ले
कह दो कैसे प्यार लिखूँ

जिसने हरदम हमला बोला
मेरे देश की धरती पर
क्यों ना फिर मैं खुल के उनको
भारत का गद्दार लिखूँ

जात पात और धर्म की आड़ ले
मत उनको मासूम कहो
हां वो कातिल मानवता के
खुल के मैं हर बार लिखूँ

— मनोज डागा

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.